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अच्छी फसल की कामना के साथ मनाया जाता है हरेला 

हरेला उत्तराखंड में मनाया जाने वाला एक लोकपर्व है जो हरियाली को दर्शाता है और जिससे उत्तराखंडवासी प्रदेश में अच्छी फसल की कामना करते हैं। यह त्योहार सावन के महीने की शुरुआत दर्शाता है। कहते हैं कि हरेले के त्योहार के दिन अगर एक सूखी-टूटी टहनी भी जमीन पर बो दी जाए, तो वह भी अपने आसपास हरा-भरा कर देती है। 

कैसे मनाया जाता है ‘हरेला’ त्योहार?

मिट्टी या बांस की बनी टोकरी में एक परत मिट्टी की बिछाकर दूसरी परत कोई भी सात अनाज जैसे गेहूं,सरसों,मक्का आदि को उसमें बिछाकर टोकरी को छाया में रख दिया जाता है। कुछ दिनों बाद उस टोकरी से बालियाँ निकल आती हैं और इन्हीं बालियों को ‘हरेला’ कहा जाता है। कहते हैं कि जितनी अच्छी बालियाँ, उतनी अच्छी फसल। अलग-अलग जगहों के हिसाब से लोग हरेला बोते हैं। किसी घर में हरेला आठ दिन पहले बोया जाता है, तो किसी घर में ग्यारह दिन पहले। उत्तराखंड में यह त्योहार इतना खास है कि यहाँ लोग एक-दूसरे के घरों में अपने घर का बोया हुआ हरेला बाँटते हैं जिससे प्रेम संबंध बने रहें। लोग इस दिन अपने बगीचे में नए पौधों को लगाना भी पसंद करते हैं। 

अच्छे पर्यावरण के लिए मनाया जाता है हरेला पर्व 

उत्तराखंड एक कृषि प्रधान राज्य है और यहाँ के ज्यादातर लोग खेती-बाड़ी पर निर्भर हैं। हरेले का अर्थ है हरियाली। हरेले पर्व को लोग अपने उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए मनाते हैं। वे अपनी अच्छी फसल और खुशहाल पर्यावरण को भक्ति-भाव से जोड़कर हरेला पर्व मनाते हैं। 

जी रया जागि रया, दूब जस फैलि जया… 

‘जी रया जागि रया, दूब जस फैलि जया । आकाश जस उच्च, धरती जस चाकव है जया। स्यू जस तराण है जो, स्याव जस बुद्धि है जो।’ यह एक तरह का आशीर्वाद है जो बुजुर्गों द्वारा हरेले के दिन परिवार के अन्य सदस्यों को उनकी तरक्की और लंबी उम्र के लिए दिया जाता है। त्योहार के दिन हरेले को काटकर सबसे पहले मंदिर में चढ़ाया जाता है और परिवार के दीर्घायु की कामना कर घर का बुजुर्ग सभी को टीका लगता है। हरेले का त्योहार ज़्यादातर उत्तराखंड के कुमाऊँ में मनाया जाता है जिसके कारण इस त्योहार पर कई कुमाऊँनी गायकों ने अपने गीत भी पेश किए हैं। 

यह त्योहार उत्तराखंड में बरसों से मनाया जा रहा है और आज भी इस त्योहार को उतने ही प्रेम से मनाया जाता है। आज भी इस त्योहार के दिन लोग एक दूसरे से मिलने उनके घर जाते हैं, तो वहीं बच्चे कान में हरेले के तिनके लटकाए ‘जी राया जागी राया’ गाते दिखते हैं।  

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