जहां दुनिया नई-नई तकनीकों को इस्तेमाल कर आगे बढ़ती जा रही है, वहीं आज भी भारत देश के कई ऐसे हिस्से हैं जहां या तो व्यक्ति विशेष के पास रहने का ठिकाना नहीं है और या फिर वो किसी अन्य जरूरतमन्द चीज का उपयोग नहीं कर पा रहा है। उत्तराखंड के नैनीताल जिले से भी कुछ ऐसी ही घटना सुनने में आई है। नैनीताल से सटे खूपी गाँव का भी कुछ ऐसा ही हाल है जहां के लोग बरसात के मौसम में अपने घर में रहने में घबराते हैं।
जर्जर है गाँव के घरों की हालत
इंसान अपने घर के अंदर सबसे सुरक्षित महसूस करता है। लेकिन खूपी गाँव के लोग बरसात के मौसम में अपने घरों में डर के साये में जी रहे हैं। नैनीताल और आसपास के इलाकों में हो रहे भूस्खलन से घरों और सड़कों में दरारें पड़ चुकी हैं जिस वजह से घर टूटने जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। बीते वर्ष भी खूपी गाँव में यही हाल थे और इस बार यह हालात और भी बिगड़ गए हैं। स्थानीयों लोगों के मुताबिक अगर वे घरों की मरम्मत भी कराते हैं तो फिर से आने वाले बरसात के मौसम में घरों के हाल खराब हो जाते हैं। इसी वजह से कुछ लोगों ने गाँव छोड़ दिया है और कुछ किसी मजबूरी के कारण वहीं रह रहे हैं।
विद्यालय भी खतरे में
खूपी गाँव के अंतर्गत आने वाले प्राथमिक विद्यालय भी खतरे की जद में हैं। विद्यालयों में पढ़ रहे छोटे बच्चों को डर के साथ विद्यालय में पढ़ना पढ़ रहा है। यह उनके लिए जानलेवा एवं असुरक्षित है। इससे विद्यालय में पढ़ रहे बच्चों की संख्या में भी कमी आ रही है।
पुराने घावों से नहीं उभर पा रहा खूपी गाँव
वर्ष 2012 से खूपी गाँव में भू-धँसाव हो रहा है जिससे वहाँ के रहने वाले लोगों को बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। भारी दरारों के कारण हर वर्ष कई मकान क्षतिग्रस्त होते हैं जिससे गाँव में डर का माहौल बना हुआ है। गाँववासियों के मुताबिक उन्होंने कई बार प्रशासन से भी मदद मांगी लेकिन प्रशासन भी कोई निष्कर्ष पर नहीं निकल पाया।
यह बेहद दुख की बात है कि जिस मकान को बनाने के लिए इंसान जीवनभर मेहनत करता है, वो मकान बरसात के मौसम में चुटकियों में क्षतिग्रस्त हो जाता है। इस विषय में सरकार को भारी कदम उठाने चाहिए जिससे अगले साल के बरसात के मौसम तक खूपी गाँव के निवासी खुशहाली से अपना जीवन बिता सकें।