बीते गुरुवार को अल्मोड़ा के Binsar Wildlife Sanctuary के जंगलों में आग लग गई जिसमें 4 वन्यकर्मियों की मौत हो गई। गुरुवार को अल्मोड़ा जिले के बिन्सर अभ्यारण में वन विभाग के 8 कर्मचारी बोलेरो गाड़ी में गश्त पर गए हुए थे। तभी उनकी गाड़ी जंगल में लगी आग की चपेट में आ गई। इस हादसे में 4 वन कर्मचारियों की मौत हो गई और 4 कर्मचारी गंभीर रूप से घायल हो गए। बिन्सर में लगने वाली आग इतनी भयानक थी कि उसको बुझाने गई वन विभाग की टीम जिसमें 4 पीआरडी जवान और फायर वॉचर बुरी तरीके से झुलस गए। इस घटना में वन बीट अधिकारी बिन्सर रेंज त्रिलोक सिंह मेहता, दैनिक श्रमिक दीवान राम, फायर वाचर करन आर्या और पीआरडी जवान पूरन सिंह की भी मौत हो गई।
उत्तराखंड में बढ़ती वनाग्नि की घटनाएँ
इस वर्ष उत्तराखंड के जंगल आग से धधकते रहे। रोज नई-नई जगहों के जंगल जलते जा रहे हैं और पर्यावरण नष्ट होते जा है। उत्तराखंड का बढ़ता तापमान भी इसका मुख्य कारण है। इस वर्ष उत्तराखंड में आग लगने से 1000 से ज्यादा घटनाएँ सामने आई हैं। आग लगने के कारण उत्तराखंड के जंगल की भूमि का 1400 हेकटेयर ध्वस्त हो गया है। जिन जिलों के जंगल में आग लग रही है, उनमें मुख्य जिले हैं – नैनीताल, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, पौड़ी और उत्तरकाशी। इससे उत्तराखंड की पहाड़ी वादियों का तापमान शहरों की तरह होते जा रहा है।
उत्तराखंड की वनाग्नि का कौन है जिम्मेदार?
उत्तराखंड में वनाग्नि की घटनाएँ बढ़ती गर्मी के कारण भी बढ़ रही है। कई बार वनाग्नि से प्रभावित आसपास के गांवों के लोगों ने देखा और बताया कि जंगलों में आग कुछ अराजक तत्वों के कारण लग रही है। जंगलों में होने वाले पीरूल से भी आग लग रही है। हवा चलने के कारण पीरूल में आग लगकर फैलती है और देखते-देखते भयंकर रूप ले लेती है।
कैसे होगी उत्तराखंड में वनाग्नि की रोकथाम?
वनाग्नि की रोकथाम के लिए उत्तराखंड सरकार के प्रयास जारी हैं। वन विभाग को भी जंगलों में लगने वाली आग को लेकर अलर्ट में रखा गया है। उत्तराखंड सरकार द्वारा नैनीझील से पानी लाकर जंगलों की आग को बुझाने की कोशिश की गई। साथ ही लोगों को भी निर्देश दिए कि जंगल में आग न लगाएँ जिससे कि वह हवा चलने पर फैल न जाए और विकराल रूप न ले। उत्तराखंड की वनाग्नि को रोकना बेहद जरूरी है अन्यथा यहाँ का सौन्दर्य, सुंदरता, जनजीवन सब अस्त-व्यस्त हो जाएगा।