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बीमार होता पर्यावरण !

जंगलों में आग 

जंगलों में आग लगने के कई कारण हो सकते हैं। जंगलों में आग बढ़ती गर्मी के कारण लगती है। जंगल में किसी एक पेड़ या पौधे में आग लगने से वह आग फैल जाती है। जंगलों में अक्सर लोग पराली जला देते हैं जिससे वहाँ आग फैल जाती है और जंगल ध्वस्त हो जाते है। उत्तराखंड के जंगलों में हाल ही में आग लगने की खबर सामने आई थी जिसमें पता चला था कि कुछ उपद्रवी तत्व इस आग के लिए जिम्मेदार है।     

बढ़ता निर्माण तथा औद्योगिकीकरण 

आज के इस बढ़ते समय में निर्माण एवं औद्योगिकीकरण होना आम है। शहरों में बड़ी-बड़ी Buildings का निर्माण हो रहा है। इससे प्रदूषण बढ़ रहा है और मौसम में बदलाव आ रहा है। गांवों में देखें तो निर्माण होने की वजह से पेड़ व पहाड़ काटे जा रहे हैं जिससे जंगल कम हो गए हैं और पहाड़ों में पेड़ों का रखरखाव  ना होने तथा उनके कटान के कारण के कारण बांज के जंगल कम हो गए हैं। 

बढ़ती जनसंख्या तथा प्रदूषण फैलाने वाले उपकरण 

जनसंख्या बढ़ती जा रही है और यह प्रदूषण बढ़ने का यह एक मुख्य कारण है क्योंकि आजकल हर घर में दोपहिया व चौपहिया वाहन होना आम बात है। साथ ही प्रदूषण फैलाने वाले उपकरण जैसे ईंधन चलित मशीन, A.C.,Fridge भी लगभग हर परिवार में मौजूद हैं जो तापमान वृद्धि तथा प्रदूषण का एक मुख्य कारक है। इसके अलावा कई प्रकार की फैक्ट्रीज़ से होने वाला प्रदूषण मौसम में बदलाव लाता है।

जंगलों का कटान 

जंगलों का कटना दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। जंगलों में होने वाली लकड़ी के कई उपयोग हैं जैसे कि गांवों-घरों में खाना बनाने के लिए, लकड़ी से बनने वाले सामान के निर्माण इत्यादि। जिस कारण जंगलों के कटान में वृद्धि हुई है। 

निवारण 

जंगलों में होने वाली लकड़ी बेहद उपयोगी है। यह बहुत से कामों के लिए उपयोग में आती है। अगर पेड़ों को निर्माण हेतु काटा जा रहा है, तो उससे ज्यादा दोगुने पेड़ लगाकर हम पर्यावरण की रक्षा कर सकते हैं। साथ ही लोगों को अपने घर के बाग-बगीचों में पेड़-पौधे लगाने चाहिए जिससे उनके आसपास की हवा शुद्ध रहे। सरकार को भी Electric वाहनों को प्रचार-प्रसार करना चाहिए जिससे प्रदूषण कम से कम हो। 

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