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कुमाऊं विश्वविद्यालय के परीक्षाफल में हो रही गड़बड़ी, छात्रों का भविष्य संकट में 

हल्द्वानी के कुमाऊं विश्वविद्यालय में फिर गंभीर चूक सामने आई।  विश्वविद्यालय द्वारा 24 जून को जारी किए गए बी.ए. तृतीय वर्ष के रिजल्ट में कई सारे छात्रों को बहुत कम नंबर मिले हैं। वहीं समाजशास्त्र के एक पेपर में कई छात्रों को केवल तीन, चार, पाँच, सात और नौ नंबर प्राप्त हुए, जबकि समाजशास्त्र के ही दूसरे पेपर में 25 और इससे अधिक नंबर प्राप्त हुए हैं। 

MBPG कॉलेज से बी.ए. में तृतीय वर्ष की परीक्षा देने वाले छात्र हिमांशु बिष्ट ने बताया कि समाजशास्त्र के एक पेपर में उन्हें सिर्फ पाँच नंबर मिले, वहीं दूसरे पेपर में 28 नंबर मिले हैं। बीए के दूसरे वर्ष में उन्हें एक पेपर में 37 और दूसरे में 39 नंबर मिले थे। इस बार विश्वविद्यालय की लापरवाही की वजह से गलत नंबर चढ़े हैं।

 परीक्षा देने के बावजूद भी कई छात्रों के रिजल्ट में नंबर नहीं चढ़ाए गए। हिमांशु ने बताया कि उन्होंने राजनीतिक विज्ञान के दोनों पेपर दिए थे, लेकिन रिजल्ट में एक पेपर के नंबर दर्ज नहीं हैं और उस स्थान पर ‘मार्क्स मिसिंग’ यानि MM दिखा रहा है। ऐसे ही छात्र, राकेश सिंह बोर को समाजशास्त्र के एक पेपर में तीन नंबर और दूसरे पेपर में 32 नंबर दिए गए हैं। वहीं दूसरी ओर एक छात्रा आसी रानी को एक पेपर में सात नंबर और दूसरे पेपर में 28 नंबर दिए गए हैं। इसी तरह कई मामले सामने आए हैं जिसमें छात्रों को बहुत कम नंबर मिले हैं। सभी छात्रों ने कुमाऊं विश्वविद्यालय की व्यवस्था के खिलाफ विरोध जताया है

इसी तरह हर साल कुमाऊं विश्वविद्यालय के रिजल्ट में गड़बड़ी के मामले देखने को मिलते हैं। हर साल विश्वविद्यालय की लापरवाही का नुकसान छात्रों को भुगतना पड़ता है। 

अगर कोई भी छात्र रिजल्ट को लेकर शिकायत करना चाहता है तो वेबसाइट से (RTI) के जरिए परीक्षा की कॉपी मिलती है। जिसके बाद वह छात्र प्रोफेसर से मूल्यांकन दोबारा  करवा सकता है, और अगर मूल्यांकन में कोई गलती हुई तो, छात्र विश्वविद्यालय में रिव्यू के लिए भी आवेदन कर सकता है, लेकिन कई छात्र इस प्रक्रिया में उलझने के बजाय फिर से परीक्षा देते हैं। इस वजह से उनका एक और साल बर्बाद जाता है। ऐसी स्थिति में विश्वविद्यालय में बदलाव की सख्त जरूरत है, ताकि छात्रों को ऐसी समस्याओं का सामना न करना पड़े और उनका एक साल भी बर्बाद न जाए।

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