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जमरानी बांध की अटकले हुई दूर, हल्द्वानी वासियों को मिलेगी बिजली और पानी के संकट से राहत 

जमरानी बांध उत्तराखंड की गौला नदी से जुड़ा प्रोजेक्ट है। यह प्रोजेक्ट 49 साल पुराना है। इसका शिलान्यास 29 फरवरी 1976 को हुआ था। 

लंबित है जमरानी बांध प्रोजेक्ट

जमरानी बांध प्रोजेक्ट के लिए पर्याप्त धनराशि नहीं होने के कारण  इसे मंजूरी नहीं मिल पाई।वन भूमि की मंजूरी ना मिलने और बांध बनने के कारण होने वाली प्राकृतिक आपदाओं के खतरे के कारण बांध बनना लंबित रहा।  

कितना पुराना है जमरानी बांध प्रोजेक्ट 

जमरानी बांध प्रोजेक्ट 49 साल पुराना है। इसका शिलान्यास 29 फरवरी 1976 को हुआ था। यह परियोजना उत्तराखंड  राज्य के नैनीताल जिले की गौला नदी में निद्रीष्ट की जानी है। प्रोजेक्ट के पहले पड़ाव में बनने वाला गौला बेराज बन चुका है और जमरानी बांध बनना बाकीं है। 

जमरानी बांध प्रोजेक्ट के लाभ

1- इस प्रोजेक्ट के बनने के बाद हल्द्वानी और आस – पास के क्षेत्रों में पेयजल की आपूर्ति होगी। 

2- बांध के बनने से क्षेत्र के लाखों की आबादी को फायदा होगा। 

3- इस प्रोजेक्ट से हल्द्वानी क्षेत्र में बिजली की आपूर्ति होगी और इससे 14 मेगावाट की जल विद्युत उत्पादन की योजना है। 

4- यह पर्यावरण को संतुलित को बनाए रखने में भी मदद करेगी और अन्य विकास के लिए भी महत्वपूर्ण है। 

जमरानी बांध के नुकसान 

1- जमरानी बांध प्रोजेक्ट से 401 हेक्टेयर भूमि डूब जाएगी, इसमें से 351.55 हेक्टेयर वनभूमि है। 

2- इस परियोजना से पर्यावरणीय संतुलन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। 

3- वन्यजीवों का प्राकृतिक निवास  खत्म हो जाएगा। 

4- इस परियोजना में बांध निर्माण के दौरान भूस्खलन और बाढ़ जैसी आपदाएं बढ़ सकती है। 

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