उत्तराखंड एक ऐसा राज्य है जो अपनी पहाड़ी वादियों, अपने वातावरण और सुंदरता के लिए मशहूर है। लेकिन उत्तराखंड के हिमालय के निकट होने के कारण और पहाड़ों में लोगों के द्वारा बसने से अब यह monsoon season में danger zone में रहता है। इस बार मौसम विभाग ने उत्तराखंड की झीलों को चिन्हित कर आपदा का इशारा किया है। उत्तराखंड में कुल 13 झीलें हैं। मौसम विभाग के विभिन्न वैज्ञानिकों के अनुसार यह झीलें monsoon season में आपदा का विषय बन सकती हैं। वैज्ञानिकों ने बताया कि चमोली और पिथौरागढ़ की झीलें कभी भी तबाही मचा सकती हैं जो कि चिंता का विषय है।
5 झीलें जो आपदा विभाग के अनुसार सबसे ज्यादा खतरे में हैं, उनमें पिथौरागढ़ जिले में दारमा, लासरयांघाटी और कुटियांगटी घाटी उच्च जोखिम वाली झीलें हैं, और चमोली जिले में धौली गंगा बेसिन की वसुधारा ताल झील हैं।
क्यों बन रही हैं उत्तराखंड की झीलें खतरा?
उत्तराखंड अपनी सुंदरता की वजह से जाना जाता है। यहाँ का मौसम और पहाड़ी वादियों के देशभर में चर्चे हैं। यही कारण है कि गर्मियों के मौसम में सभी राज्यों से लोग उत्तराखंड को आना पसंद करते हैं। लेकिन उत्तराखंड की यह झीलें जो कि यहाँ की सुंदरता का प्रतीक हैं, अब डर का माहौल पैदा कर रही हैं। ग्लोबल वार्मिंग के कारण पिघलते glaciers और पहाड़ों से झीलों का जलस्तर बढ़ता जा रहा है जो कि आने वाले समय में संकट पैदा कर सकता है। इसके चलते सही दिशा में काम करना जरूरी है।
क्या है राज्य सरकार की प्लैनिंग?
सचिव आपदा प्रबंधन डॉ.रंजीत सिन्हा के अनुसार यह एक चिंताजनक विषय है। उन्होंने बताया कि इसके निवारण के लिए विभाग जल्द ही अपना काम शुरू करने वाला है। साथ ही इन झीलों को पंचर किया जाएगा जिससे झीलों का जलस्तर कम हो जाएगा। जुलाई के महीने में आपदा प्रबंधन के वैज्ञानिक समेत उनकी टीम इन झीलों को पंचर करने पहुंचेगी जिससे झीलों का जलस्तर सामान्य हो जाए और राज्य को कोई भी आपदा का खतरा न रहे।
सैटेलाइट से सभी झीलों की निगरानी की जा रही है। आपदा प्रबंधन से मिली जानकारी के अनुसार सी-डेक पुणे के नेतृत्व में चार टीमें हैं जिसमें वाडिया इंस्टीट्यूट, जीएसआई लखनऊ, एनआईएच रुड़की, आईआईआरएस देहरादून हैं जो 5 झीलों के न्यूनीकरण व अधध्यन के लिए आएंगे।