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हिमालय संग्रहालय की शोभा बढ़ाएंगी कत्यूरी काल की मूर्तियाँ

कुमाऊँ विश्वविद्यालय के डीएसबी परिसर के हिमालय संग्रहालय में अब कत्यूरी काल की मूर्तियों को देखने का मौका मिलेगा। यह मूर्तियाँ शिव-पार्वती और उनके पूरे परिवार की हैं। यह मूर्तियाँ मटीना गाँव के लोगों ने संग्रहालय को दी हैं जिससे वे वहाँ सुरक्षित रहें और आकर्षण का एक केंद्र बनें। मूर्तियों को संग्रहालय को प्रदान करने वालों में जगदीश जोशी, सदन मिश्रा, विनोद चंद्र भट्ट, रमेश शामिल रहे। साथ ही देवस्थल सेवा समिति के महत गांव जिला अल्मोड़ा के महाराज बृहस्पति ने गणेश एवं कुबेर देवता की मूर्तियाँ संग्रहालय को प्रदान की। इन मूर्तियों को संग्रहालय को भेंट करने में कुमाऊँ आयुक्त दीपक रावत और डीएम वंदना सिंह ने बहुत मदद की। कुमाऊँ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दीवान सिंह रावत ने आयुक्त और डीएम का धन्यवाद किया।  

कत्यूरी काल के शासनकाल को कहा जाता था ‘स्वर्णिम काल’ 

उत्तराखंड को देवों की भूमि कहा जाता है। जो लोग उत्तराखंड घूमने आते हैं, वे यहाँ की पहाड़ी वादियों के साथ यहाँ के मंदिरों और तीर्थ स्थानों के दर्शन के लिए भी आते हैं। यहाँ कई वंश के राजाओं ने शासन किया जिन्होंने यहाँ कई मंदिर स्थापित किए। कत्यूरी वंश के राजाओं ने उत्तराखंड और नेपाल के कई हिस्सों में राज किया जहां उन्होंने कई शैव मंदिरों का निर्माण किया जिसकी वजह से उनके शासनकाल को स्वर्णिम काल भी कहा जाता है। शोधकर्ताओं को उस काल में बनी मूर्तियों की खोज कर रहे हैं और उन्हें उत्तराखंड के विभिन्न संग्रहालयों में सजाते जा रहे हैं जिससे लोग उत्तराखंड की संस्कृति को अच्छे तरीके से जान पाएँ।

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