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गोलापार का अंतरराष्ट्रीय स्टेडियममॉनसून सीजन के प्रकोप से जूझता 

200 करोड़ रुपये की लागत से बना गौलापार का अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम मॉनसून सीजन के कारण खतरे में है। मॉनसून के दौरान गौलापार क्षेत्र में बारिश का जोर अधिक होने से नदी उफान में आ जाती है। इससे   स्टेडियम के पास ही बहने वाली गौला नदी का बहाव तेज होने के कारण पिछले साल स्टेडियम की बाउन्ड्री का  200 मीटर का हिस्सा जमींदोज हो गया था। 

प्रशासन की लापरवाही के कारण अभी भी बाढ़ से सुरक्षा के कार्य शुरू नहीं हुए हैं। जब मॉनसून दस्तक देने को है तब जाके बाढ़ सुरक्षा कार्य कराने के लिए व्यय वित्तीय समिति ने ढाई करोड़ के प्रस्ताव को मंजूरी दी है, लेकिन इसके लिए अभी भी बजट जारी नहीं हुआ है। इस अनदेखी के चलते स्टेडियम को नदी के पानी में डूबने का खतरा बना हुआ है और साथ ही हानि होने की संभावनाएं भी बढ़ गई हैं। 

पिछले साल सितंबर 2023 में गौला नदी के तेज बहाव से गौलापार स्टेडियम की बाउंड्री और सुरक्षा दीवार का 70 मीटर हिस्सा नदी में समा गया था।  उसके अगले ही महीने अक्तूबर में करीब 200 मीटर का दायरा गौला नदी के तेज बहाव के कारण नदी में समा गया था। साथ ही बाउंड्री पर बनी कच्ची सड़क और पानी निकासी के लिए बनाई गई नाली भी  टूट गई थी। 

प्रशासन ने स्टेडियम का दौरा करने के बाद सिंचाई विभाग को बाढ़ से सुरक्षा का प्रस्ताव तैयार करके शासन को भेजने के निर्देश दिए थे। सिचाई विभाग ने 2.5 करोड़ रुपये का प्रस्ताव शासन को भेजा था। इसके बाद स्टेडियम को बचाने के लिए 200 मीटर लंबी और 6.5 मीटर ऊंची सुरक्षा दीवार बनाई जानी थी। सुरक्षा दीवार बनाने के दावे मॉनसून के आने से पहले किए जा रहे थे लेकिन फिलहाल इस प्रस्ताव को व्यय वित्त समिति की ही मंजूरी मिली है, यह कार्य बजट जारी होने के बाद ही निर्माण शुरू होगा। अब बजट जारी होने के लिए कितना इंतजार करना होगा कोई नहीं जानता। 

अगर पिछले साल की तरह ही इस साल भी गौला नदी का बहाव स्टेडियम की तरफ रहा तो पिछले साल से भी अधिक नुकसान होने की आशंका है। स्टेडियम को अधिक नुकसान ना हो इसके लिए प्रशासन को जल्द से जल्द बजट को पास करवाना होगा या फिर अस्थायी बाढ़ अवरोधक का उपयोग करके होने वाले नुकसान को रोका जा सकता है।  

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